बिल्लेसुर बकरिहा–(भाग 27)
बिल्लेसुर अकेले मज़ा लेंगे?
दीना नहीं अगर बकरियों को पेट में न डाला।
बिल्लेसुर ने देखा, दीना के माथे पर बल पड़े हुए थे,आँखों में इरादा ज़ाहिर था।
बिल्लेसुर को ज़िन्दगी के रास्ते रोज़ ऐसी ठोकर लगी है, कभी बचे हैं, कभी चूके हैं।
अब बहुत सँभले रहते हैं।
हमेशा निगाह सामने रहती है।
वहाँ से बढ़ते हुए गूलड़ के पेड़ के तले गये।
कुछ पत्ते काटे और उनका बोझ बनाकर बाँध लिया घर में बकरियों को खिलाने के इरादे।
जब बकरियों का पेट भर गया तब बोझ सर पर रखकर दूसरे रास्ते से बकरियों को लिए हुए घर लौटे।
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